Loading Now

“आजादी के 76 वर्ष बाद भी उपेक्षित वर्ग जाति अत्याचार एवं उत्पीड़न उत्पीड़न शिकार, कौन है जिम्मेदार?” वीरेंद्र कुमार जाटव

 

“आजादी के 76 वर्ष बाद भी उपेक्षित वर्ग जाति अत्याचार एवं उत्पीड़न उत्पीड़न शिकार, कौन है जिम्मेदार?”
वीरेंद्र कुमार जाटव

 

सहारा सन्देश टाइम्स

गणतंत्र दिवस की 76वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और उन शहीदों को नमन कर रहे हैं, जिन्होंने कुर्बानी देकर भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराया है. आज भारत एक स्वतंत्र एवं संप्रभु राष्ट्र है, जिसका अपना संविधान है, अपना झंडा है, अपनी न्यायपालिका है. भारतीय संविधान में वो सभी प्रावधान हैं जो मनुष्य मात्र के जीवन को प्रगति के मार्ग पर ले जाते हैं. भारत को गुलामी से मुक्त करने में सभी वर्गों का योगदान है चाहे वह किसी भी धर्म संप्रदाय जाति से है. यह कड़वा सच है कि भारत के इतिहास में उपेक्षित समाज के नायकों उल्लेख नहीं मिलता है महत्व तो बहुत दूर की बात नहीं है,.

इसी संदर्भ को समझते हुए मान्यवर काशीराम जी ने अपने नौकरी का त्याग किया था और भारत के उपेक्षितों समाज के समस्याओं को समझने के लिए भारत का भ्रमण किया था. ऐसा माना जाता है कि मान्यवर कांशीराम ने करीब 4000 किलोमीटर की साइकिल यात्रा की थी. तदोपरांत उन्होंने 14 अप्रैल 1984 को बहुजन समाज पार्टी का गठन किया था ताकि यह अपेक्षित समाज के अधिकार जो अभी तक नहीं मिले हैं उनको दिलाने के लिए एक बड़ी योजना तैयार की जाए उसमें कुछ हद तक सफल भी रहे.

आजादी के 76 वर्ष बाद भी यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि देश के उपेक्षित समाज को न्याय नहीं मिला है. जिसकी बहुत बड़ी संख्या है लेकिन वह भूमिहीन है गरीब है निर्धन है. ग्रामीण इलाकों में आज भी जातीय भेदभाव, उत्पीड़न और अत्याचार होते हैं यहां तक की शहरों में भी जाति का जहर समाज में घुला हुआ है. इसके परिणाम स्वरुप उपेक्षित वर्ग की हत्या, महिलाओं के साथ बलात्कार घरों को आग लगा देने की और हर तरह की यात्राएं देने की घटनाएं देश के समाचार पत्र में छपी हुई रहती हैं. अर्थात देश मे ऐसा कोई कोना नहीं है जहां पर दलितों पर अत्याचार एवं शोषण ना होता हो।

पिछले 10 वर्षों में अत्याचार और उत्पीड़न की घटनाएं से हर इंसान का मन विचलित होता है. मूंछ रखने पर दलितों की हत्या की जाती है. पानी के घड़े को छूने पर हत्या की जाती हैं.
दलितों की बारात को जबरन रोका जाता है और मारा पीटा जाता है. पुलिस के संरक्षण में बारात को निकाला जाता है. इसके अलावा मुंह पर पेशाब करने का घिनौना कांड भी देखने को मिलता है. महिलाओं के साथ तो और भी भयानक अत्याचार होते हैं. यह सब घटनाएं हर राज्य में होते हैं और कहीं पर भी इसकी रोकथाम नहीं हो पाती है. शहरों में अलग तरह से दलितों को दबाया जाता है उनके अधिकारों का हरण एवम हनन किया जाता है. नौकरियां करने वाले अधिकारियों की ऐसी गोपनय रिपोर्ट खराब कर दी जाती हैं. उन को अच्छी पोस्टिंगी नहीं जाती है और उनका हर तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.

भारत के अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट् स्पष्ट इशारा करती है कि भारत में दलितों पर अत्याचार बढ़ रहे हैं. राजनीतिक दल एक दूसरे पर कीचड उछलते हैं लेकिन हर राज्य में ऐसी घटनाएं होती हैं. सच तो यह भी है कि पीड़ित परिवार का समाज भी इसमें बहुत बड़ा सहारा नहीं बनता है. यह भी एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. इस समस्या का समाधान आसान से दिखाई नहीं दे रहा है क्योंकि राज्य सरकार की इच्छा शक्ति का अभाव है और अधिकारी भी भेदभाव की नीति अपनाते हैं. अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार नहीं होते हैं, इसलिए इस तरह की घटनाएं होती है.

इस तथ्य को भी समझना होगा आखिर हम कैसा प्रशासन चला रहे हैं कैसा शासन चला रहे हैं कि दलितों पर अत्याचार रोकने का नाम नहीं ले रहे हैं बल्कि यह घटनाएं अपना विकराल रूप ले रही है. यदि इस तरह से ही चला रहा तो इस देश का जो उपेक्षित वर्ग है यह कैसे मान लें कि हम आजाद भारत में रह रहे हैं. भारत विश्व का सबसे बड़ा एवं सबसे प्राचीन लोकतंत्र है. हम चांद पर भी पहुंचे हैं और विश्व में भारत की एक बड़ी पहचान है. भारत हर क्षेत्र में प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है इसके लिए भारत के निर्माताओ का जरूर शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन्होंने 75 वर्ष के कार्यकाल में आजाद भारत को प्रगति पथ पर लेकर आए हैं. आज हम विकसित राष्ट्र का सपना देख रहे हैं जिसे कल्पना 2047 के लिए की गई है. सभी भारतीय चाहते हैं कि यह सपना पूरा हो और भारत विश्व की महान शक्ति बने. देश का अपेक्षित वर्ग यह भी चाहेगा कि उसकी समस्याओं का समाधान हो और जातीय अत्याचार समाप्त हो
.इस पर भारत के नीति निर्देशकों ,धर्मगुरु, समाजशास्त्री एवं राजनीतिक प्रतिनिधि को अवश्य ही गंभीरता से सोचना होगा और समाधान निकालना होगा।

वीरेन्द्र कुमार जाटव
राजनीतिक विश्लेषक एवं राष्ट्रीय सचेतक समता सैनिक दल.

Post Comment

मनोरंजन