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इटावा में कथा वाचक मंडली के साथ किया जातिय एवं अमानवीय अत्याचार , कौन है जिम्मेदार वीरेंद्र कुमार जाटव

इटावा में कथा वाचक मंडली के साथ किया जातिय एवं अमानवीय अत्याचार , कौन है जिम्मेदार
वीरेंद्र कुमार जाटव

 

सहारा सन्देश टाइम्स

उत्तर प्रदेश के इटावा में भगवत कथा वाचक के साथ जातीय एवं अमानवीय अत्याचार की घटना सामने आई है जिसमें कथावाचक मुकुट मणि यादव के जबरदस्ती चोटी काटी गई,सर मुंडवाया गया और महिला के पैरों में गिरकर नाक रगड़कर माफी मंगवाई गई और 5 घंटे बंधक बनाये रखा गया एवं हारमोनियम भी तोड़ दिया गया था। आज सोशल मीडिया में अलग तरह की घटनाक्रम बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह महिला के साथ छेड़छाड़ का है।चाहे जो भी घटनाक्रम हो लेकिन यह अधिकार किसी को भी नहीं है कि कानून को अपने हाथ में ले। यह घटना साफ दर्शाती है कि आजादी की 78 वर्ष बाद भी देश में जातिय अत्याचार, उत्पीड़न और घृणा चरम सीमा पर है।आज भी वर्चस्ववादी, यथास्थिति और प्रभुत्ववादी समुदायों के सामने उपेक्षित समाज असहाय एवं डरा हुआ दिखाई देता है। इस घटना के बाद क्षेत्र के सांसद के साथ पीड़ित पक्ष पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों से मिला और पुलिस विभाग ने त्वरित कार्यवाही करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार भी किया है। यह घटनाक्रम कानून व्यवस्था के साथ ही जातिय अत्याचार की एक घटना है और मानसिक रूप से संकुचित विचारधारा रखने वाले को बेनकाब करने की घटना है। घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि उपरीक्षित समाज को जलील और उपेक्षित वर्ग को अपमानित करने के पीछे एक गहरी साजिश है ताकि ऐसे लोगों समाज में सर ऊंचा ना उठा सके, जीवन भर अपमानित महसूस करें, और हमेशा इस घिनौने कृत्य की याद उनके दिमाग में बैठी रहे और एक जिंदा लाश की तरह जिंदा रहे।इस घटना पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कड़ी सजा की मांग की है एवं पीड़ित पक्षों को एक कार्यक्रम में बुलाकर उनको सांत्वना दी है और विश्वास दिलाया है कि उनको न्याय दिला कर रहेंगे।सोशल मीडिया पर यह है घटनाक्रम का वीडियो वायरल हो रहा है और उपेक्षित समाज में एक अजीब सा डर समाया हुआ है क्योंकि ऐसी घटनाएं अब लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकते यदि ऐसी घटनाएं समाज में रुकी नहीं गई तो ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी भाईचारा और मिला-जुला व्यवहार खतरे में पड़ सकता है यदि इस कारण से आपसी टकराव तनाव और आक्रोश पैदा होता है तो इसकी जिम्मेदारी विश्व सुनिश्चित की जानी चाहिए।राज्य सरकार को स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि ऐसी घटनाएं किसी सभ्य समाज में नहीं होनी चाहिए. यदि कुछ सामाजिक तत्वों के द्वारा की जाती हैं तो उनको जेल में भेजा जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी। यह भी महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक सरसंघ संचालक मोहन भागवत लगातार इस बात की पैरवी करते रहे हैं कि हिंदू समाज को एकजुट रहना है, लेकिन हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों हैं उनको दूर करने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। यदि धर्म गुरु आगे आकर जातीय उत्पीड़न घटना की घोर निंदा करते हैं और समाचार पत्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पीड़ितों की आवाज को उठाता है तो जरूर इसका असर पड़ेगा और ऐसी घटनाएं रोकने में मदद मिलेगी। इसके बावजूद राज्य सरकारों को कठोर कानून बनाकर कठोर दंड का प्रावधान कर ऐसे सामाजिक कुरीतियों को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाने होंगे। यदि किसी एक व्यक्ति के साथ ऐसा घृणापूर्ण अत्याचार होता है तो उसके साथ भविष्य में क्या गुजरने वाली है और उनकी मन स्थिति पर कितना आघात पहुंचा है, यह कल्पना से परे है। सभी देशवासियों को जागरूक करना होगा कि देश में संविधान लागू है जो सभी को समानता का अधिकार देता है जिसमें अस्पृश्यता और छुआछूत के लिए कोई जगह नहीं है। इसके बाद भी जातिय घटनाएं हो रही है तो समाज की संकुचित मनोवृत्ति में बदलाव के लिए बड़े पैमाने पर कार्य करना होगा।

समाजशास्त्रियों को भी आगे आकर इस दिशा में जरूर राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को ठोस सुझाव देने चाहिए ताकि जातिय अत्याचार ,उत्पीड़न भेदभाव को कम करने में हम कामयाब हो सके।

वीरेन्द्र कुमार जाटव, राजनीतिक विश्लेषक एवं राष्ट्रीय सचेतक समता सैनिक दल

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