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बिहार में बसपा के बढ़ते कदम क्या इंडिया गठबंधन पर भारी पड़ेंगे,वीरेन्द्र कुमार जाटव

बिहार में बसपा के बढ़ते कदम क्या इंडिया गठबंधन पर भारी पड़ेंगे,वीरेन्द्र कुमार जाटव

 

सहारा सन्देश टाइम्स

लोकसभा चुनाव एवं विधानसभा चुनाव में लगातार पार्टी का चुनाव प्रदर्शन बेहद खराब के कारण पार्टी का राष्ट्रीय दर्जा भी खतरे में है. इसलिए बसपा के लिए बिहार विधानसभा के चुनाव बेहद खास मायने रखता है. बिहार विधानसभा के मुख्य केंद्रीय प्रभारी सांसद रामजी गौतम के लगातार बिहार के चुनावी दौरो से साफ है कि बसपा ने बिहार चुनाव को गंभीरता से लिया है और पूरी ताकत से चुनाव मैदान में कूदने का फैसला कर लिया है। पिछले लगातार 6 महीने से बिहार की अनेकों विधानसभा में बिहार के अन्य प्रभारी एवं प्रदेश अध्यक्ष के सघन दौरे चल रहे हैं और रुझान बताता है कि बिहार में इस बार बसपा की चर्चा हो चुकी है

अब इस चर्चा और संघर्ष को और व्यापक एवं बड़ा बनाने की आवश्यकता है जिस पर बसपा आला कमान पूरी तरह नजर गड़े हुए हैं। यही कारण है कि 26 जून को बिहार की राजधानी पटना में बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की जोरदार एंट्री देखने को मिली है। आकाश आनंद के आने से बिहार के बहुजन समाज में एक नई ऊर्जा, विश्वास और बिहार में भविष्य की राजनीति में बसपा की दखल अंदाजी का स्पष्ट संकेत देखने को मिला है। आकाश आनंद ने भी अपनी भाषण के माध्यम से उत्तर प्रदेश के विकास मॉडल को बिहार की जनता के समक्ष रखा है और विश्वास दिलाया है यदि बिहार में बसपा मजबूत होती है तो बिहार के अनुसूचित जाति जनजाती ओ बी सी समाज की आर्थिक ,सामाजिक स्थिति को मजबूत किया जाएगा

बिहार का जातिगत समीकरण इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है जिसमें करीब 18 प्रतिशत मुस्लिम, 19% अनुसूचित जाति जनजाति, एवं 63 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग है। इसमें 14% यादव, करीब 6% जाटव, 5% कुशवाहा , 5%पासवान की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है. आगामी विधानसभा के चुनाव में उच्च वर्गीय समाज का मतदाता भाजपा के साथ जुड़ा रहेगा जबकि मुस्लिम दलित ओबीसी मतदाताओं का झुकाव इंडिया गठबंधन बसपा की तरफ होने वाला है। स्वराज पार्टी और आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में कूदने से उच्च वर्ग के मतदाताओं में बिखराव की भी संभावना बढ़ गई है जिसका फायदा बसपा को भी हो सकता है बशर्तें कि बिहार के चुनाव में बसपा चुनाव लड़ती हुई दिखाई देनी चाहिए।

जहां तक बसपा के बिहार में चुनाव प्रदर्शन की बात है तो 2000 में बसपा में यहां उत्तर प्रदेश से सटे जिलों में अच्छा प्रदर्शन करते हुए 5 विधानसभा क्षेत्र में शानदार जीत हासिल की थी. इसके बाद भी बसपा के चार विधायक विधानसभा में पहुंचे थे। 2009 में बसपा के दो विधायक जीत कर आए थे उसके लंबे समय बाद पिछले विधानसभा चुनाव में एक विधायक जमाखान बसपा के टिकट पर जीत का आया था। आगामी विधानसभा के चुनाव के लिए ऐलान कर दिया है कि सभी 243 सीटों पर पूरी ताकत से चुनाव लड़ा जाएगा और किसी भी अन्य राजनीतिक दल से समझौता नहीं किया जाएगा।

बिहार में बसपा यदि शानदार प्रदर्शन करने में कामयाब हो जाती है और उसके विधायकों की संख्या 10 और 7% वोट उनके पक्ष में होता है तो यह बसपा की जीत होगी। बिहार में शानदार प्रदर्शन से आकाश आनंद की स्थिति मजबूत होगी उसकी स्वीकार्यता ना केवल बसपा में बल्कि बहुजन समाज में बड़ी तेजी से बढ़ेगी, जिसका फायदा बसपा को उत्तर प्रदेश में जरूर दिखाई देगा। बिहार में सांसद राम जी गौतम के अलावा अनिल चौधरी और संदीप यादव के अलावा कुशवाहा समाज के नेता बड़ी संख्या में पार्टी से जुड़े हैं जिसके कारण बसपा को बिहार में अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद जग गई है ।

इसके बावजूद यदि निष्पक्ष आकलन किया जाए तो बसपा को यहां पर लगातार कैडर कैंप तैयार करने होंगे।।सभी सामाजिक संगठनों को साथ लेना होगा। बहुजन समाज के नायकों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित करने होंगे जैसा कि शाहू जी महाराज के जन्म दिवस पर किया गया है। बिहार विधानसभा के चुनाव नवंबर में होने हैं इसलिए बसपा प्रमुख को भी पटना में जाकर चुनावी तैयारी की समीक्षा की जाए और बिहार में चुनाव से पहले चार बड़ी रैलियां बसपा प्रमुख की हो जानी चाहिए। देश के अंदर राज्यों के प्रभारी को भी प्रभारी को एक महीने के लिए बिहार में लगा दिया जाए। सतीश चंद्र मिश्रा की भी बिहार में बड़ी रैलियां कराई जाए। बसपा अपने बलबूते पर चुनाव लड़ सकती हैं एवम युद्ध स्तर पर चुनावी अभियान की आवश्यकता है। बसपा की मीडिया ,लोक गायक, सामाजिक पत्रिकाओं के संपादक एवं छोटे और मझौले समाचार पत्रों को भी साधने की आवश्यकता है।

वीरेन्द्र कुमार जाटव,
राजनीतिक विश्लेषक एवं राष्ट्रीय सचेतक समता सैनिक दल

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