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एडवोकेट चांदनी शाहबानो : मुस्लिमों में दरगाह, मजार, खानकाह, तकिया, चिल्लों पर शिक्षा-दीक्षा पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा लेना फकीरों का काम, अन्य जाति छीनेगा तो होगा विवाद

एडवोकेट चांदनी शाहबानो : मुस्लिमों में दरगाह, मजार, खानकाह, तकिया, चिल्लों पर शिक्षा-दीक्षा पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा लेना फकीरों का काम, अन्य जाति छीनेगा तो होगा विवाद

 

सहारा सन्देश टाइम्स

घटना 22 जून 2025 की है जब इटावा जिले के दादरपुर गांव में एक कथावाचक से पहले जाति पूछी गई और फिर यादव जाति का पता चलने पर उसकी पिटाई की गई। न सिर्फ इतना, कथावाचक का सिर मुंडवाकर गांव से भगा दिया गया।

*हाइलाइट्स*
मुस्लिमों में दरगाह, मजार, खानकाह, तकिया, चिल्लों पर शिक्षा-दीक्षा पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा लेना फकीरों का काम, अन्य समाज का व्यक्ति करेगा तो होगा विवाद।

तर्क दिया कि एक कथावाचक से पहले जाति पूछी गई और फिर यादव जाति का पता चलने पर उसकी पिटाई की गई। न सिर्फ इतना, कथावाचक का सिर मुंडवाकर गांव से भगा दिया गया l कथावाचक के पास दो आधार कार्ड मिले

Chandni Shahbano : इटावा के दादरपुर गांव में कथावाचक की जातिगत पिटाई और अपमान का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर अब राष्ट्रीय शाह समाज फाउंडेशन इन्डिया की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं MRM सूफी शाह मलंग प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सह संयोजिका एडवोकेट चांदनी शाहबानो का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि जिस प्रकार शादी और पूजा-पाठ कराने का काम ब्राह्मणों का है, ठीक वैसा ही “मुस्लिमों में दरगाह, मजार, खानकाह, तकिया, चिल्लों पर शिक्षा-दीक्षा पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा लेना फकीरों का काम है, यदि इसे अन्य समाज का व्यक्ति करेगा तो दिक्कत तो होगी ही।” राष्ट्रीय अध्यक्ष शाहबानो ने घटना की निंदा तो की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि हर जाति का समाज में एक काम होता है और उसी के अनुसार सबको चलना चाहिए।

*क्या है पूरा मामला?*
घटना 22 जून 2025 की है जब इटावा जिले के दादरपुर गांव में एक कथावाचक से पहले जाति पूछी गई और फिर यादव जाति का पता चलने पर उसकी पिटाई की गई। न सिर्फ इतना, कथावाचक का सिर मुंडवाकर गांव से भगा दिया गया। इस कथावाचक के पास दो आधार कार्ड मिले – एक पर नाम मुकुट मणि अग्निहोत्री, पता औरैया और दूसरे पर नाम मुकुट सिंह, पता इटावा था। इस आधार पर कुछ लोगों ने जालसाजी और गलत पहचान का आरोप लगाया और यह तर्क दिया कि वह ब्राह्मण बनकर कथावाचन कर रहा था।

*सूफीशाह-मलंग (फकीर) समुदाय की अखिल भारती प्रमुख एडवोकेट चांदनी शाहबानो का बयान*
शाहबानो ने कहा, “मुस्लिमों में दरगाह, मजार, खानकाह, तकिया, चिल्लों पर दान-दक्षिणा लेना और धार्मिक शिक्षा-दीक्षा पूजा-पाठ कराना फकीरों का काम होता है, अगर कोई अन्य समाज का व्यक्ति यह काम करेगा तो टकराव तो होगा ही। हर समाज का एक निश्चित कार्य है, उसी के अनुसार समाज में संतुलन बना रहता है।” हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “कथावाचक के साथ जो हिंसा हुई, वह गलत है। इस तरह की घटनाएं समाज में नहीं होनी चाहिए।” आगे उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से मुस्लिम समाज को सीख लेनी चाहिए l य़ह बिल्कुल सत्य है कि भारतीय मुसलमानों में जातिगत व्यवस्था के अन्तर्गत ही रोटी बेटी का सम्बंध होता है और हर समाज का एक निश्चित कार्य है l

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